रोज स्नान करने के क्या फायदे हैं

स्वामी विवेकानन्द को कसरत करने का बहुत शौक था। एक बार एक कुतर्की ने उनसे पूछा की श्री कृष्ण ने तो कहा है कि शरीर तो सिर्फ चोला है , जब ये नष्ट होना ही है तो इस पर समय और मेहनत क्यों व्यर्थ करें।


तब स्वामी जी ने कहा कि ये शरीर भगवान की देन है। मरते दम तक तो इसी मे रहना है तो इसको मन्दिर मान कर क्यों न अच्छे से रखें।

कसरत और नहाना दोनों ही शरीर के लिए ज़रूरी हैं।

स्नान करने से तन-मन दोनों प्रफुल्लित होते हैं।मैं तो हर मौसम में दिन में 2 बार नहाता ही हूँ। नही नहाने से कुछ समस्याएं हो सकती हैं, नहाने से तो फायदा ही है।

रोज़ नही नहाने की वकालत के अधिकतर लेख उन विदेशियों ने लिखे हैं जिधर साल में 8 महीने तापमान 10 डिग्री से भी कम रहता है। हमारा देश तो शीतोष्ण जलवायु का है, रोज़ नहाइये।

कुछ लोग कहते हैं कि नहाने से त्वचा के कुछ ज़रूरी तेल निकल जाते हैं, पर तैरने को सर्वश्रेष्ठ तो व्यायाम माना गया है। ये दोनों एक साथ तो सच नही हो सकते !!!

हमारे महान पूर्वजों को पता था कि कुछ आलसी लोग आएंगे ही इसलिए उन्होंने पूजा के पहले स्नान को अनिवार्य कर दिया ताकि लोग मन्दिर जाने के पहले नहाएं।

मुंबई जैसे बड़े शहरों में लोग कार के साथ एक स्कूटी भी रखते ही हैं। उनके मन मे एक कैलकुलेशन चलती है कि 5 किलोमीटर के अंदर गया तो स्कूटी से जाऊंगा, उससे ज्यादा में ही कार निकलेगी। वैसे ही कई लोग नहाने में भी गिनते हैं कि ये किया तो नहाऊंगा,वो नही किया तो क्या नहाना

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